इंडिया गठबंधन के खटाखट गारंटी कार्ड से रुपए भेजने की चाल में फसा पसमांदा मुस्लिम समाज गारंटी कार्ड लेकर महिलाएं कांग्रेस दफ्तर के चक्कर काट रही हैं और वोट हासिल कर दोनों नेता अब दूसरी शतरंज की चाल में जुटे

इंडिया गठबंधन के खटाखट गारंटी कार्ड से रुपए भेजने की चाल में फसा पसमांदा मुस्लिम समाज गारंटी कार्ड लेकर महिलाएं कांग्रेस दफ्तर के चक्कर काट रही हैं और वोट हासिल कर दोनों नेता अब दूसरी शतरंज की चाल में जुटे

बाराबंकी 8 जून। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने एक बार फिर पसमांदा समाज को बरगलाकर झूँठा दिलासा देकर उनका वोट हासिल कर लिया और मतलब निकल जाने के बाद दोनों ने किनारे पकड़ लिए। खटाखट खाते में रुपये मिलने की आस में बांटे गए गारंटी कार्ड फार्म लेकर महिलाएं कांग्रेस कार्यालय के चक्कर काट रही हैं और वोट हासिल कर दोनों नेता अब शतरंज की नई चाल चलने में जुटे हैं।

यह बात आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने अपने बयान में कही। उन्होंने कहा कि राहुल और अखिलेश ने सत्ता की लालच में सारी हदें पार कर दी हैं। सपना तो यही था कि झूंठे वादे कर ज्यादा सीट हासिल करेंगे और सत्ता में आ जाएंगे पर झूठ का महल ज्यादा नही टिकता। एक बार फिर जोड़ी बनाकर पब्लिक को खेल तमाशा दिखाने आये कांग्रेस गारंटी कार्ड देकर दोनों नेताओं के मंसूबों पर जनता ने पानी फेर दिया। हालांकि यह दोनों झूठ का सहारा लेकर और झूंठे वादे कर पसमांदा समाज का वोट लेने में काफी हद तक सफल रहे जैसे कि महिलाओं के खाते में खटाखट रुपये भेजने का वादा। आमजन की गरीबी, परेशानी और मजबूरी का फायदा कैसे उठाया जाता है यह कोई राहुल व अखिलेश से सीखे। अब आलम यह है कि महिलाएं खाते में खटाखट पैसा आने के वादे को अमल में आते देखने के लिए कांग्रेस कार्यालय पर कई दिन से मौजूद हैं चक्कर लगा रही पर हमेशा की तरह जिम्मेदार गायब हैं।
उन्होंने कहा अब भला इससे बड़ा मजाक और क्या होगा। कदम कदम पर सुर मिलाने वाले अखिलेश भी अब तसवीर से गायब हैं और विधायकी छोड़ दिल्ली में बसने की तैयारी कर रहे।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने पसमांदा समाज को कुछ देने की बजाय हमेशा छीना ही है चाहे वह धार्मिक आजादी हो या फिर बुनियादी तरक्की, यही हाल सपा का भी है। क्या कांग्रेस और क्या सपा, पसमांदा समाज का वोट लेने के लिए सारी चाल चली पर चुनाव में न किसी चेहरे को टिकट दिया और न ही आगे की रणनीति ही बताई, तो वोट लेने के बाद पीडीए का राग अलाप रहे अखिलेश क्या पसमांदा समाज से किसी को राज्यसभा भेज रहे हैं, क्या पसमांदा समाज के एहसान का बदला वह चुकाएंगे। पसमांदा यही सवाल कर रहा है। फिलहाल खटाखट पैसे खाते में आते नही दिख रहे और न ही कांग्रेस की गारंटी ही दूर दूर तक पूरी होती दिखाई दे रही, गनीमत यह कि महाठगबंधन को बहुमत नही मिला वरना शातिरों के सरदार जाने क्या कर दिखाते।

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